SHAYARI 28-01-2024

 

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख,

क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ?

दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी,

यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ?

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आखिरी ख़्वाहिश जो पूछी वक़्त ने,

पहली ख़्वाहिश मुस्कुरा कर रह गयी !

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ख्वाहिश नहीं है अब हमें उम्र--दराज़ की,

बस तेरे पहलू में गुजरे, चाहे उम्र हो एक रात की

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पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर,

बस इतना ही है ज़िंदगी का सफर !!

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हर साँस में ख़ुद अपने होने का गुमाँ था !

वो सामने आए तो मुझे होश कहाँ था !!

करती हैं उलट-फेर यूँ ही उनकी निगाहें !

काबा है वहीं आज सनम-ख़ाना जहाँ था !!

- अनवरसाबरी

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फूल और पात को ज़रा बदल लो !

वक़्त और हालात को ज़रा बदल लो !!

अपने मिजाज को तसल्ली देकर !

दिमाग में उठते जज्बात को ज़रा बदल लो !!

 

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