SHAYARI 29-01-2024
दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता हूँ !
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए !!
~इफ़्तिख़ार आरिफ़
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बड़ा मुश्किल है जज्बातों को शायरी में बदलना,
हर दर्द को महसूस करना पड़ता है यहां लिखने के पहले !
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वक्त और हालात के साथ शौक तो बदल सकते हैं !
लेकिन रिश्ते और दोस्त को बदलना मुश्किल है !!
संकलन:प्रदीप
श्रीवास्तव (ग़ज़ल गायक)
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