किशोर कुमार - कटी पतंग हे sss हे sss , हूँ sss हूँ sss हूँ ये शाम मस्तानी , मदहोश किये जाये } मुझे डोर कोई खींचे , तेरी और लिए जाये }- २ ..................................................... दूर रहती है तू , मेरे पास आती नहीं होटों पे तेरे , कभी प्यास आती नहीं ऐसा लगे , जैसे के तू हंस के ज़हर कोई पिए जाये शाम मस्तानी , मदहोश किये जाये मुझे डोर कोई खींचे , तेरी और लिए जाये ..................................................... बात जब मैं करूँ , मुझे रोक देती है क्यूँ तेरी मीठी नज़र मुझे , टोक देती है क्यूँ तेरी हया तेरी शरम तेरी क़सम , मेरे होंट सिये जाये शाम मस्तानी , मदहोश किये जाये मुझे डोर कोई खींचे , तेरी और लिए जाये ..................................................... एक रूठी हुई तक़दीर जैसे कोई ख़ामोश ऐसे है तू , तस्वीर जैसे कोई तेरी नज़र बन के जुबां लेकिन तेरे पैगाम दिए जाये शाम मस्तानी , मदहो...