चदरिया झीनी रे झीनी_कबीर दास_प्रदीप श्रीवास्तव_Chadariya Jhinii Re Jhiin...
CHADARIYA
JHINI RE JHINI_KABEER DAAS
चदरिया
झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी।
चदरिया
झीनी रे झीनी
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अष्ट
कमल का चरखा बनाया,
पाँच
तत्व की पूनी।
नौ
दस मास बुनन को लागे, मूरख
मैली कीनी। १
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जब
मोरे चादर बन घर आई,
रंगरेज
को दीनी।
ऐसा
रंग रंगा रंगरेज ने,
लालों
लाल कर दीनी। २
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चादर
ओढ़ शंका मत करियो,
दो
दिन तुमको दीनी।
मूरख
लोग भेद नहिं जाने,
दिन
दिन मैली कीनी। ३
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ध्रुव
प्रह्लाद सुदामा ने ओढ़ी, शुकदेव
ने निर्मल कीनी।
दास
कबीर ने ऐसी ओढ़ी,
ज्यों
की त्यों धरि दीनी। ४
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कबीर
दास
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