AMRIT WACHAN

सुप्रभात,
मनुष्य तभी तक धर्म के विषय में तर्क वितर्क करता है, जब तक उसे धर्म का स्वाद नहीं मिलता | स्वाद मिलने पर वह चुपचाप साधन करने लगता है |
-प्रदीप श्रीवास्तव 

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