शायरी

लीजिये साहेबान एक बेहद असरदार और गहरा  शेर :
"ये तो ज़र्फ़ ज़र्फ़ की बात है, कि ज़रा सी पी और उबल गए !
वो तो हम हैं साहिबे मैकदा, कि नशे में और सम्हल गए !!"
पसे पर्दा उनका जमाल था तो ये अंजुमन थी बुझी बुझी !
जहां रुख़ से उनके नक़ाब उठी, वहीं सौ चराग़ से जल गए !"

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