'पापा' मेरे

सब बेटियों के लिए

चाँद लेकर हाथों में वो
परियों की कहानी सुनाते थे
जाने कैसे बातों में वो
दुनिया की सैर कराते थे
ऊँगली थामे वो मेरी 
मुझको चलना सिखलाते थे
हर फ़रमाइश 'पापा' मेरे 
कहने से पहले लाते थे!
अब भी तो जब हम मिलते हैं
हर मुश्किल हल हो जाती है 
गोदी में उनकी सर रख कर 
बचपन फिर लौट सा आता है
पर फ़र्क़ है अब इतना ही सा
अब घर वो पराया कहते हैं
पापा मेरे अब फ़ोन पे ही
सब बातें कहते रहते हैं
उनसे मिलने को अब मुझको
इजाज़त लेनी पड़ती है
मेहमानो जैसे अपने ही
घर में अब मैं जाती हूँ
गिनती गिन के कुछ दिन की 
मैं फिर से वापिस आ जाती हूँ
पापा मेरे हँसके मुझको
फिर  से विदा कर देते हैं 
'फिर आना जल्दी ' कहके वो
आँखें छुपा लेते हैं
जाने ये कैसे रीत बनी 
बेटी यूँ परायी हो जाती 
लाडों से पल कर उसको फिर
सब छोड़ के इक दिन जाना है
बस यादें लेकर इस दिल में
किसी  और का घर सजाना है


~ Ashu Dadwal 

Comments

Popular posts from this blog

SRI YOGI ADITYANATH- CHIEF MINISTER OF UTTAR PRADESH

Kavi Gopal Ji Shukla_Yaad Rahey Patni Do Dhari Talwar Hai_याद रहे पत्नी ...

गुरुदेव मेट्रो स्टेशन,कानपुर से कानपुर यूनिवर्सिटी तक सड़क का बद्द्तर हाल...