GEET_MERE GEET LE CHALEY HAIN AMRAIYON KE GAON_मेरे गीत ले चले हैं _SHA...
गीत
मेरे
गीत ले चले हैं अमराइयों के गाँव,
ठहरी
ठहरी झील घने पेड़ों की छाँव
मेरे
गीत ले चले हैं अमराइयों के गाँव
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ठंडी
ठंडी रेत बहती,
हौले
हौले नदिया फैली,
दूर
तक पर्वत मालाएं,
मस्त
मस्त डोले पवन,
पेड़ों
पे झुकता गगन,
और
गले मिलती लताएं,
पायल
संग बीत गए,
गोरिया
के पाँव,
मेरे
गीत ले चले हैं अमराइयों के गाँव
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धूल
का श्रृंगार किये, मेहनत
का बोझ लिए,
खेतों
में काम करती टोली,
गुमसुम
सी द्वार खड़ी, राह
तके प्रीतम की,
गोरी
की दो अँखियाँ भोली,
यूँ
साथी प्रीत पले तारों की छाँव,
मेरे
गीत ले चले हैं अमराइयों के गाँव
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पीपल
की छाँव तले कितने अरमान पले,
बचपन
से यौवन के अंगना,
झूलों
की पैंग मची, गीतों
की धूम बजे,
नाज़ुक़
कलइयन के कंगना,
सतरंगी
सपने सजे, पनघट
की छाँव,
मेरे
गीत ले चले हैं अमराइयों के गाँव
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फागुन
की ऋतु आई, झूम
उठी पुरवाई,
खेतों
ने ली अंगड़ाई,
कुहू
कुहू हर डाली, कोयलिया
मतवाली,
गीतों
में संदेसा लाई,
प्रीतम
संग खेल लेत उल्फ़त का दांव,
मेरे
गीत ले चले हैं अमराइयों के गाँव
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~
महवर अदीबी
निज़ामत
- डॉ. सैयद मेहंदी जाफ़री
शेरी
नशिस्त - 22.12.2000
16.05.2021
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