Nasir Jaunpuri_ Ghar Bana Tamanna Ka- घर बना तमन्ना का छत पड़ी मोहब्बत की,

ग़ज़ल

Ghar Bana Tamanna Ka-Nasir Jaunpuri

घर बना तमन्ना का छत पड़ी मोहब्बत की,

पूरी हो गई नासिर हर कमी मोहब्बत की !

 सबसे अच्छी होती है ज़िंदगी मोहब्बत की,

काश दिल को मिल जाये रौशनी मोहब्बत की !

थरथराते होटों पर नाम बस तुम्हारा हो,

सांस इस तरह निकले आख़िरी मोहब्बत की ! 

आप का हंसीं चेहरा आइना है चाहत का,

आपसे मिली मुझको आगही मोहब्बत की  

पाँव अहले दुनिया के डगमगाने वाले हैं,

काश कोई फ़रमादे रहबरी मोहब्बत की  

सारी ज़िंदगी अपनी फूल से सजा लेगा,

क़द्र जान लेगा जब आदमी मोहब्बत की !

वास्ता नहीं मुझको नफ़रतों की बातों से,

बात करता रहता हूँ हर घड़ी मोहब्बत की !

और तो कोई मुझको अब नज़र नहीं आता,

बात कुछ समझते हैं आप ही मोहब्बत की !

ज़िक्र क्या मोहब्बत का अक्स भी नहीं पाया,

हाय उन निगाहों में सादगी मोहब्बत की !

दिन में याद आता है उसका चाँद सा चेहरा,

रात में बिखरती है चांदनी मोहब्बत की !

इसलिए उसे नासिर मैं ग़ज़ल सुनाता हूँ,

उसको अच्छी लगती है शायरी मोहब्बत की !

~ नासिर जौनपुरी

22.12.2000

https://youtu.be/sFkRHYCS0pI


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