Nasir Jaunpuri_Maine Zindgi Sari Ishq Mein Lagai Hai_Mushairava
ग़ज़ल
मैंने
ज़िंदगी सारी इश्क़ में लगाईं है,
दिल
में दर्द रखता हूँ बस यही कमाई है !
उसकी
शोख़ नज़रों ने बात ये बताई है,
दिल
उसी का दिल होगा जिसने चोट खाई है !
मैं
भी बेसहारा हूँ मुझपे भी नज़र कर दो,
तुमने
तो हज़ारों की ज़िंदगी बनाई है !
छोड़
कर गली दिल की, मैं कहीं नहीं जाता,
उसके
पास रहता हूँ जिससे आशनाई है !
ज़ाहिदों
के चक्कर से दूर है जुनू मेरा,
मैं
उधर न जाऊँगा मेरी तो लड़ाई है !
आपने
हर लम्हा मेरा ध्यान रखा है,
जो
भी वफ़ा नहीं करता, उसमे बेवफ़ाई है !
मौज
हो की तूफां हो मैं कभी न डूबूँगा,
नाव
भी उन्ही की है जिनकी ना ख़ुदाई है !
जब
से आ गया हूँ मैं कूच-ए-मोहब्बत में,
हाथ
में उसी दिन से कासा-ए-गदाई है !
नासिर
अपने हाथों में जाम ले नहीं सकता,
उसकी
जान की दुश्मन उसकी पारसाई है !
- नासिर जौनपुरी
Niyaz_18.12.1998
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