ग़ज़ल - जब सुबह का मंजर

जब सुबह का मंज़र होता है, या चाँदनी रातें होती  हैं !
उस वक्त तसव्वुर में उन से कुछ और ही बातें होती  हैं !!
जब दिल से दिल मिल जाता है, वो दौर- ए- मोहब्बत आह न पूछ !
कुछ और ही दिन हो जाते हैं कुछ और  ही  रातें  होती  हैं !!
क्यूँ याद 'शमीम' आ जाते हैं वो अपनी मोहब्बत के लम्हे !
जब इश्क के किस्से सुनता हूँ,जब हुस्न  की  बातें  होती  हैं !!                                           ~शमीम' जयपुरी

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