SHAYRI - TUJHE AAZMANE KO

तेरे पास आने को जी चाहता है !
अपना बनाने को जी चाहता है !!
हमारे लिए दर  तुम्हारा है क़ाबा !
वहीँ सर झुकाने को जी चाहता है !!
~ डा माधवी लता शुक्ला 

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