GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी
झील सी ऑंखें शोख़ अदाएं, फूल सा चेहरा घर में है ! मैं बाहर क्यूँ तीर चलाऊं मेरा निशाना घर में है !! -- ग़ाफिल लोंगों मत देखो, नापाक दुपट्टे की जानिब, जिसपे नमाज़े पढ़ सकते हो, ऐसा दुपट्टा घर में है ! -- जब तक जेब में माल रहेगा, तब तक देगी दुनिया साथ, जो दुःख सुख में साथ निभाये, वो महबूबा घर में है ! -- दिल में उसकी याद बसी है, और तस्वीर निगाहों में, एक महबूबा घर से बाहर, एक महबूबा घर में है ! -- शायर – जौहर कानपुरी
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