बात साक़ी की न टाली जायेगी,
शायर- जलील मानिकपुरी
उपनाम - अमीर मीनाई
१८६४ -१९५६
ग़ज़ल
बात साक़ी की न टाली जायेगी,
करके तौबा तोड़ डाली जायेगी !
आते आते आएगा उनका ख़याल,
जाते जाते बेख़याली जाएगी !
देखते हैं ग़ौर से मेरी शबीह,(तस्वीर)
शायद इसमें जान डाली जाएगी !
ऐ तमन्ना तुझको रो लून शाम वस्ल (मिलन की रात)
आज तू दिल से निकाली जायेगी !
क़ब्र में भी होगा रोशन दाग़े दिल,
चाँद पर क्या ख़ाक़ डाली जाएगी !
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