Mushaira_ Aye Shamm-E-Faroza Parwane Kahan Hain_ ऐ शम्मे फ़रोज़ा परवाने कह...


विनम्र श्रद्धांजलि

कल कानपुर के एक और कवि राम कृष्ण 'प्रेमी' को कोरोना के काल ने दिनांक २१..०४. २०२१ को ग्रस लिया |

उनको श्रद्दांजलि अर्पित करते हुए ये अमर आवाज़ आप सबको पेश है !

 

जाने तो वो ही जाने हम हैं किसके दीवाने,

एक है शम्मा महफिल में और हज़ारों अफ़साने !

- राम कृष्ण प्रेमी

भविष्य अंधकार में कहीं खो गया,

चिराग़ के उजाले में बैठा हूँ मैं,

हाय हाय आईने को क्या हो गया !

- राम कृष्ण 'प्रेमी'

https://youtu.be/eGa8TcJRga0

जाने तो वो ही जाने हम हैं किसके दीवाने,

एक है शम्मा महफिल में और हज़ारों अफ़साने !

- राम कृष्ण प्रेमीभविष्य अंधकार में कहीं खो गयावर्तमा उजालों में चिराग़ के उजाले में बैठा हूँ मैं,

हाय हाय आईने को क्या हो गया !

- राम कृष्ण 'प्रेमी'

https://youtu.be/eGa8TcJRga0

ग़ज़ल

ऐ शम्मे फ़रोज़ा परवाने कहाँ हैं,

आतश परस्त आशिक़ वो जाने कहाँ हैं !

शीशे में अंगूरी पैमाने कहाँ हैं,

साक़ी कहाँ हैं वो मस्ताने कहाँ हैं !

आँखों से पिलाते वो ऑंखें लड़ा के,

तश्नालब के होश ठिकाने कहाँ हैं !

रंग-ओ-बू के साथ झूमे हैं मस्तियाँ,

गुल से पूछे तितली फ़लाने कहाँ हैं !

बिखरे हैं बाल-ओ-पर गुल के इर्द गिर्द,

खतरे में चमन है सियाने कहाँ हैं !

आईने में आप देखें तो ग़ौर से,

आप के वो तेवर पुराने कहाँ हैं !

है प्रेमी गुमसुम तन्हा बज़्म-ए-अदब में,

वो छुअन रूहानी उड़ाने कहाँ हैं !

- राम कृष्ण 'प्रेमी'


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