कुटाई की महिमा

कुटाई की महिमा

एक आदमी ने अपने काफी बुजुर्ग दादाजी से पूछा कि पहले इतने लोग बीमार नहीं होते थे जितने आज हो रहे हैं??

 

तो दादाजी बोले कि बेटा! पहले हम हर चीज को कूटते थे जबसे हमने कूटना छोड़ा है तब से हम सब बीमार होने लग गए ।

 

आदमी (आश्चर्य से) : वो कैसे ?

 

दादाजी (मुस्कुराते हुए) : जैसे पहले खेत से अनाज को कूट कर घर लाते थे, घर में मिर्च मसाला कूटते थे,कभी कभी तो बड़ा भाई भी छोटे को कूट देता था और जब छोटा भाई उसकी शिकायत मां से करता था तो मां बड़े भाई को कूट देती थी और कभी तो दादाजी भी पोते को कूट देते थे यानी कुल मिलाकर दिन भर कूटने का काम चलता रहता था । कभी मां बाजरा कूट कर शाम को खिचड़ी बनाती , पहले हम कपड़े भी कूट कर धोते थे । मास्टरजी भी कूटते थे जहां देखो वहां पर कूटने का काम चलता रहता था तो बिमारी नजदीक नहीं आती थी ।  सबका इमुनिटी पावर मजबूत रहता था । जब कभी बच्चा सर्दी में नहाने से मना करता था तो मां पहले कूट कर उसकी इमुनिटी पावर बढ़ाती थी और फिर नहलाती थी ।

तो कुल मिलाकर सब कुटाई की महिमा है.


 

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