चुनाव की बेदी पर एक परिवार और उजड़ गया |
चुनाव की बेदी पर एक परिवार
और उजड़ गया |
कानपुर नगर के पूर्व पुलिस
सर्किल ऑफिसर और लोगों के चहेते पुलिस अधिकारी रह चुके श्री दीवान गिरी के योग्य
पुत्र, समाज सेविका नूपुर राही के पति, जाने माने गीत कार देवी प्रसाद राही
के दामाद और हम सब के चहेते मित्र दिव्य दृष्टि अब हमारे बीच में नहीं हैं | चुनाव की ड्यूटी के दौरान उनकी तबियत अचानक ख़राब हो गई उन्हें वापस लाना पड़ा
पता चला कि वो कोरोना पॉज़िटिव हो गए | फिर उन्हें न ही उर्सला अस्पताल और ना ही हैलट
में जगह मिल पाई, बाद में निजी अस्पताल ले जाते समय चुनाव करवाने की हटधर्मिता की बलि चढ़ गए |
इसका ज़िम्मेदार कौन ?
क्या चुनाव आयोग ?
क्या कुम्भ मेले का आयोजन ?
क्या होली के हुड़दंग की भीड़
या लोगों की ना समझी ?
सभी दोषी हैं |
मार्च तक कोरोना का ग्राफ
बिलकुल डाउन था | लोगों ने,
यहाँ तक सरकार ने यही समझ
लिया की कोरोना ख़तम हो गया और लापरवाह हो गए |
फिर अचानक कोरोना का प्रकोप
बढ़ने लगा और अब बेकाबू हो गया है ! संसाधनों के अभाव में हज़ारों जाने जा चुकी और जा रही हैं जिसको रोक
पाना अभी फिलहाल संभव नहीं है |
इसमें सभी ज़िम्मेदार हैं :
सबसे पहले स्वयं हम जो
लापरवाह हो गये |
उसके बाद होली की भीड़
महा कुम्भ के संत समाज और
अनुमति देने वाली सरकार
चुनाव की रैलियां और चुनावी
भीड़ |
और इस आपदा में लाशों को नोचने वाले वो
गिद्ध जो कभी वार्ड बॉय हो या लालची डॉक्टर हो !
या लालची निजी अस्पताल और
उसके कर्मी हो !
लालची लाशों को नोचने वाले
वो गिद्ध जो दवाओं की कालाबाज़ारी करने वाले हो !
लालची लाशों को नोचने वाले
वो गिद्ध जो आक्सीजन के सिलेंडर ब्लैक करने वाले हों |
लालची लाशों को नोचने वाले
वो गिद्ध जो स्टीम लेने की मशीन हो या मास्क हो या सेनेटाइजर हो सब पर दाम बढ़ा कर
बनाने वाले या बेचने वाले गिद्ध हो |
सभी दोषी हैं !
और सबसे बड़े दोषी वो हैं जो
सच्चाई जानते हुए भी खामोश रहते हैं |
गलत को गलत न कहना सबसे बड़ा
जुर्म है | और इस जुर्म के लिए किसको दोष दें क्यूंकि हम सब
दोषी हैं |
याद रखिये अब जनता जागरूक
हो चुकी है अगर वो सर पर बैठाती है तो गिराने में देर नहीं लगती |
जो गलत है वो गलत है मैं
किसी भी सरकार का नुमाइंदा नहीं हूँ और ना ही किसी सरकार ने हमारी सहायता की |
ना ही किसी विधायक, सांसद या मंत्री ने किसी भी प्रकार की सहायत की सहयोग दिया जबकि सभी को कहीं न कहीं हमने सहयोग दिया |
मन दुखी है |
आत्मा रो रही है |
आप अपनी आत्मा को मरने मत दीजिये |
मानव धर्म से बड़ा कोई धर्म
नहीं है |
उस धर्म को निभाइये ?
धर्म की जय हो,
अधर्म का नाश हो,
प्राणियों में
सद्भावना हो,
विश्व का कल्याण
हो
आपका,
प्रदीप
श्रीवास्तव
ग़ज़ल गायक
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