हुज़ूर साहेब फरमाते हैं : कि सब्र रखना चाहिए


हुज़ूर साहेब फरमाते हैं : कि सब्र रखना चाहिए

 

सब्र रखने के मायने हैं कि इन मुसीबतों के बाद बेहतरी ज़रूर आयेग, एक मुद्द्त तक इंतज़ार करना रज़ा के साथ | अपने परवरदिगार से जुड़े हुए ध्यान बांधे हुए, उसकी बंदगी में खुद को लगाए हुए, बिला किसी शिकवा शिकायत के बिला मुंह बिगाड़े हुए, बिला झुंझलाहट के, बिला किसी ग़म और गुस्से के निहायत सुकून के साथ इंसानी तरीके के साथ इंतज़ार करना, अँधेरी रात के सुबह होने तक |

और दूसरा  तरीका है की अल्लाह के सामने गेंद की तरह बन जाओ | गेंद खामोश रहता है कोई शिकवा शिकायत नहीं करता है, पैर से इधर मार दिया उधर चला गया, पैर  से उधर मार दिया इधर चला गया | उछाल दिया गया उछल गया गिरा दिया गया गिर गया अर्थात पैदा करने वाले परम पिता परमेश्वर के सामने गेंद की तरह बन जाओ | अगर तुमने उसको खुश रखा अपनी बातों से, अपने कुछ कहने सुनने से उसे तकलीफ नहीं पहुंचाई तो वो अपनी तमाम मर्ज़ी कर लेने के बाद तुमको ऐसे मुकाम पे पहुंचा देगा जहां ठंडक ही ठंडक होगी, सुकून ही सुकून होगा, स्वर्ग की ज़िंदगी बहिश्त की ज़िंदगी इसी का नाम है |

- हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही |

16.08.2006


 

Comments

Popular posts from this blog

GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी

Ye Kahan Aa Gaye Hum_Lyric_Film Silsila_Singer Lata Ji & Amitabh ji

SUFI_ NAMAN KARU MAIN GURU CHARNAN KI_HAZRAT MANZUR ALAM SHAH