चंद अशआर मज़ाहिया.... अहमद अज़ीज़


चंद अशआर मज़ाहिया....


अपनी बीवी  से  प्यार  करता हूं

उसकी हर हाँ पे हाँ  मै कहता हूं


मुझको बीवी से कोई ख़ौफ़ नहीं 

बस लिहाज़न मै उससे डरता हूं 


सारी  दुनिया  सलाम  करती है

मै फ़क़त  घर पे  डांट सुनता हूं 


अपनी मर्ज़ी की राह क्या चलना 

पीछे  पीछे  मै  उसके चलता हूं


एक  दिन मै भी  उसको डांटूँगा

नीन्द मे  ख़्वाब  ऐसे  बुनता  हूं


ज़िन्दगी  कट  रही  खमोशी   से

हर सितम  मुस्कुरा  के सहता हूं


मै निकम्मा, गँवार और अहमक 

ऐसे  अलक़ाब  रोज़  सुनता  हूं


मेरा खुशियों से गहरा  नाता  है 

साल,दो साल पर मै  हँसता  हूं


                   अहमद अज़ीज़

 

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