SHAYARI - 10.10.2022

न सही मेल मुलाकात का यादों का सही,

हमसे जैसे भी बने रिश्ता बनाए रखना ।

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इस बात पर तंज मत कसो कि, कहाँ तक पहुँचा हूँ !

बल्कि  ये सोचो  कि, कहाँ  से कहाँ  तक पहुँचा  हूँ !!

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ताउम्र नादान बंदे तू यही भूल करता रहा !

लिए दागदार अपना दामन औरों पे हंसता रहा !!

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वही रिश्ते सफल ,खूबसूरत और खुशिया देते हैं,

जिनमें दोनों तरफ से निभाने की चाह होती है !

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महलों के होड़ में गुम हो रही हैं बस्तियां !

अब कहां सावन के झूले अब कहां वो मस्तियां !!

बहुत मुश्किल है,सबको खुश रखना !

चिराग जलते ही अंधेरे रूठ जाते है !!


साए से हमें एक चीज़ हमेशा सीखनी चाहिए !

कभी छोटा तो कभी बड़ा होकर जीना चाहिए !!


तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल,

इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं !

-फ़िराक़ गोरखपुरी


दरिया ए इश्क़ ऐसे ही हमसे हुआ न पार,

हम लोग डूब डूब के तैराक हो गये !

मिलते नहीं हैं ढूंढें से भी बेवकूफ़ अब,

कलियुग में सारे लोग ही चालाक हो गये !

 -अमित 'अहद'



सब ने मिलाए हाथ यहाँ तीरगी के साथ,

कितना बड़ा मज़ाक़ हुआ रौशनी के साथ।

~ वसीम बरेलवी

मेरी गलती में छिपा हैं, मेरा इन्सान होना,

वो जो गलती न करे, कोई फरिश्ता होंगा !

# 9140886598








 


 

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