SHAYARI-TU JIDHAR HUKM DE

सुबह का नमस्कार,
तू जिधर हुक्म दे बरसात उधर होती है !
तेरी रहमत से ख़ुदा शाम-ओ-सहर होती है !!
नाज़ करती है ख़ुदा उनकी रहमत उसपर !
जिसपे सरकार-ए-दो आलम की नज़र होती है !!
संकलन:
प्रदीप श्रीवास्तव,
ग़ज़ल गायक  

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