SHAYRI-JAISI BHI GUZARTI HAI

सुप्रभात,
जैसी भी गुज़रती है आइए गुज़र कर लें,
मैकदे के साए में ज़िंदगी बसर कर लें !!
ऐसे कौन जानेगा इस जहाने फ़ानी में,
आइए वफ़ा सीखें दिल में जिसके घर कर लें !!

~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम शाह "मौजशाही"(हुज़ूर साहेब हमारे पीर)

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