Sufi_Fagun Maas Suhawan Ho_फागुन मास सुहावन हो_ Hazrat Manzoor Aaalam Sh...
फागुन मास सुहावन हो, चित लागै न रामा
!
जिए की मन आस बड़ी है कब अईहो रामा !!
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आस बंधा के आस न तोड़ो
बीच भंवर में फंसाय न छोड़ो
गाँठ बंधी है ये गाँठ न तोड़ो
पार लगा दो हो ऐसे न छोड़ो
जिए की मन आस बड़ी है कब अईहो रामा !!
फागुन मास सुहावन हो चित लागै न रामा !
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छोटी सी है पर बात बड़ी है
उनके सहारे ही इतनी कटी है
उनसे मोहब्बत ऎसी जुडी है
जैसेकि पैरों में बेड़ी पड़ी है
जिए की मन आस बड़ी है कब अईहो रामा !!
फागुन मास सुहावन हो चित लागै न रामा !
जिए की मन आस बड़ी है कब अईहो रामा !!
हज़रत मंज़ूर आलम शाह
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