Geet_Bandh To Bandhey Bahut They_Lokesh Shukla_Kavi Sammelan & Mushaira

LOKESH SHUKLA_ BANDH TO BANDHE BAHUT THEY

गीत

बाँध तो बांधे बहुत मैंने हृदय पर,

पर ना जाने क्यूँ तुम्हारी याद आई !

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भूलना मुश्किल बहुत अमृत पलों को,

कुन्तलों की छाँव में जो साथ बीते,

शूल पथ पर महक उठते फूल बन कर,

दुर्दिनो में वे हमेशा साथ जीते,

मृग जलों ने लाख भटकाया मुझे पर,

डोर जो तुमसे जुड़ी थी छुट पाई,

बाँध तो बांधे बहुत मैंने हृदय पर,

पर ना जाने क्यूँ तुम्हारी याद आई !

- - - -

टूटते विश्वास बिखरी आस्थाएं,

इस तपन में पा सका कब मन सहारा,

प्रीत में लाचार पल जो भी मिले थे,

आज रजनी में चमकते बन सितारा,

दूरियां अच्छी लगीं नजदीकियों से,

जो बसी दिल में नहीं होती पराई,

बाँध तो बांधे बहुत मैंने हृदय पर,

पर ना जाने क्यूँ तुम्हारी याद आई !

- - - -

नील नभ के छोर से बादल घुमड़ कर,

प्यार पपीहे की बढ़ा दे जिस तरह से,

घोर मायूसी भरे वातावरण में,

आस दिल में तुम जगाते उस तरह से,

कब अँधेरे रोक पाय इक किरन को

जो कमल के अधर पर जा मुस्कराए,

बाँध तो बांधे बहुत मैंने हृदय पर,

पर ना जाने क्यूँ तुम्हारी याद आई !

- - - -

Video Editing

PRADEEP SRIVASTAVA

+91 9984555545

https://youtu.be/iS8eQUrq1bk

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