SHAYARI-24-05-2022
देख कर पूछ लिया हाल मेरा,
चलो कुछ तो ख्याल करते हो !
शहर-ए-दिल में ये उदासियाँ कैसी,
ये भी मुझसे सवाल करते हो !
मरना चाहें तो मर नहीं सकते,
तुम भी जीना मुहाल करते हो !
अब किस किस की मिसाल दूँ तुमको,
हर सितम बे-मिसाल करते हो ।
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अकेले हम ही नहीं शामिल इस जुर्म मे,
नजरे जब मिली थीं तो बत्तीसी तुमने भी दिखाई थी !
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उसके खयाल से आती है, खुशबू सुकून की मेरी,
तमाम तकलीफों का वो इकलौता जवाब है !
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शादियाँ भव्य होती जा रही हैं,
और रिश्ते जर्जर !
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ख्वाब हैं पंकज हम आंखों से रातों रात गुजरते हैं।
सिर्फ तखैय्युल में रहते हैं सच होने से डरते हैं ।
अपने दिल मे सिर्फ तुम्हारी यादें जिंदा रखने को,
हम सीने के घाव पुराने रोज कुरेदा करते हैं।
- पंकजअंगार
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वही दिलनशीं इशारे वही जानवाज़ अदाएं,
जो ग़ज़ल की जान ख़ुद हो हम उसे ग़ज़ल सुनाएं !
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तेरी तारीफ में कुछ लफ्ज़ कम पड़ गए,
वरना हम भी किसी ग़ालिब से कम नहीं ।
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तेरी चाहत भी अजीब सी है ऐ दोस्त,
ना तुम मुझे अपना बना सके और ना ही मैं आज़ाद हो सका।
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फिर लगेगी नजर उस पगली को,
देखो आज वो फिर से काजल लगाना भूल गई !
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न बस में ज़िंदगी उसके न क़ाबू मौत पर उस का,
मगर इंसान फिर भी कब ख़ुदा होने से डरता है
अजब ये ज़िंदगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसाँ,
रिहाई माँगता
है और रिहा होने से डरता है !
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वफ़ा के नूर से ये सारा आलम जगमगाने दो !
अदावत के चराग़ों को बुझाने की ज़रूरत है !!
-अरुण सरकारी
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