SHAYARI-09-05-2022

 

इश्क की नासमझी में हम सब कुछ गवां बैठे..

जरुरत थी उन्हें खिलौने की हम अपना दिल थमा बैठे.

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ना राहों की खबर, ना मंज़िल का पता,

ज़िन्दगी के चौराहों पर, खड़े रह गए हम !

उम्मीद की किरण सही वक्त का इंतजार,

इन्हीं बैशाखियों पर टिके रह गए हैं हम !

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जिस राह से गुज़रने की इजाज़त नहीं मुझे,

कई बार गुज़रते हैं, मेरे ख़याल वहाँ से.

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क्यूँ  ना  गुरुर  करता  मैं  अपने  आप  पे !

मुझे उन्होंने चाहा जिनके चाहने वाले हज़ारों थे !!

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धन  रहै  ना जोबन रहैरहै  गाम  ना  धाम

कबीर जग मे जस रहै, कर दे किसी का काम ।।

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कई दिनों बाद आज मेरा दिल, ये सोच कर रो दिया !

कि ऐसा क्या पाना था मुझे जो मैने खुद को ही खो दिया !!

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फासले इस कदर आज है रिश्तों मे,

जैसै हम कर्ज चुका रहे हो किस्तो मै !

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जिगर वालों काडर  से कोई वास्ता नहीं होता !

हम कदम वहां रखते हैं जहाँ कोई रास्ता नहीं होता !!

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रिश्तों को अगर बनाये रखना है तो,

गणित विषय मे कमजोर होना बहूत जरूरी है !

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बहुत मुश्किल है,सबको खुश रखना,

चिराग जलते ही अंधेरे रूठ जाते है !












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