सुप्रभात,
रफ्ता रफ्ता मेरी जानिब़, साँसे बढ़ती जाती हैं !
चुपके-चुपके काैन मेरे हक में दुआ पढता हैं !!
संकलन:
प्रदीप श्रीवास्तव 
ग़ज़ल गायक

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