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Showing posts from September, 2020

-:: असहिष्णुता ::-

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  -:: असहिष्णुता ::- मैं शांति से बैठा अपना इंटरनेट चला रहा था...तभी कुछ मच्छरों ने आकर मेरा खून चूसना शुरू कर दिया तो स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मेरा हाथ उठा और चटाक हो गया । और एक-दो मच्छर ढेर हो गए... फिर क्या था उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया कि , मैं असहिष्णु हो गया हूँ..!! मैंने पूछा.. , " इसमें असहिष्णुता की क्या बात है.. ?" वो कहने लगे.. , " खून चूसना उनकी आज़ादी है.." बस "आज़ादी" शब्द सुनते ही कईं बुद्धिजीवी उनके पक्ष में उतर आये और बहस करने लगे.. इसके बाद नारेबाजी शुरू हो गयी..!! " तुम कितने मच्छर मारोगे.. हर घर से मच्छर निकलेगा.." बुद्धिजीवियों ने अख़बार में तपते तर्कों के साथ बड़े-बड़े लेख लिखना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि .. , मच्छर देह पर मौज़ूद तो थे लेकिन खून चूस रहे थे ये कहाँ सिद्ध हुआ है .... और अगर चूस भी रहे थे तो भी ये गलत तो हो सकता है लेकिन ' देहद्रोह ' की श्रेणी में नहीं आता... क्योंकि ये "मच्छर" बहुत ही प्रगतिशील रहे है..किसी की भी देह पर बैठ जाना इनका ' सरोकार ' रहा है। मैंने

SHIV BHAJAN - VED KAHTE HAIN PURAN DEKHO-SUSHEEL KANPURI

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                                                                       शिव की महिमा वेद कहते हैं कहते पुराण देखो , भोले बाबा की ऊंची है शान देखो ! शिव की महिमा है सबसे महान देखो , भोले बाबा की ऊंची है शान देखो ! - - - - धूप दुखों की छट जाएगी , खुशियों की बरखा आएगी , करके भोले भण्डारी का ध्यान देखो , भोले बाबा की ऊंची है शान देखो ! - - - - जय भोले क्यों न बोले हम , सारे देवता कहते हैं बम बम , ब्र्म्हा विष्णु भी करते हैं मान देखो भोले बाबा की ऊंची है शान देखो ! - - - शिव जैसा न कोई है दूजा , कर लो ऐसे शिव की पूजा ज्ञानी ध्यानी ये करते बखान देखो भोले बाबा की ऊंची है शान देखो ! - - - रचयिता - सुशील कानपुरी      (कापी राइट - प्रदीप श्रीवास्तव)      

KABHI KAHAA NAA KISS SE TERE FASAANE KO - QAMAR JALAALVI

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कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को , न जाने कैसे ख़बर हो गयी ज़माने को ! सुना है ग़ैर की महफ़िल   मे तुम न जाओगे , कहो तो आज सजा दूँ ग़रीब ख़ाने को ! दुआ बहार की मांगी तो इतने फूल खिले , कहीं जगह ना मिली मेरे आशियाने को ! दबा के क़ब्र मे सब चल दिये दुआ न सलाम , ज़रा सी देर मे क्या हो गया ज़माने   को ! - क़मर जलालवी

यह अजीब मुल्क है,

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  यह नदियों का मुल्क है , पानी भी भरपूर है। बोतल में बिकता है , बीस रू शुल्क है।     यह गरीबों का मुल्क है , जनसंख्या भी भरपूर है। परिवार नियोजन मानते नहीं , जबकि नसबन्दी नि:शुल्क है।     यह अजीब मुल्क है , निर्बलों पर हर शुल्क है। अगर आप हों बाहुबली , हर सुविधा नि:शुल्क है।     यह अपना ही मुल्क है , कर कुछ सकते नहीं। कह कुछ सकते नहीं , जबकि बोलना नि:शुल्क है।     यह शादियों का मुल्क है , दान दहेज भी खूब हैं। शादी करने को पैसा नहीं , जबकि कोर्ट मैरिज नि:शुल्क हैं।     यह पर्यटन का मुल्क है , बस/रेलें भी खूब हैं। बिना टिकट पकड़े गए तो , रोटी कपड़ा नि:शुल्क है।     यह अजीब मुल्क है , हर जरूरत पर शुल्क है। ढूंढ कर देते हैं लोग , पर सलाह नि:शुल्क है।     यह आवाम का मुल्क है , रहकर चुनने का हक है। वोट देने जाते नहीं , जबकि मतदान नि:शुल्क है।    

माँ का पल्लू

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माँ का पल्लू   मुझे नहीं लगता कि आज के बच्चे यह जानते हो   कि पल्लू क्या होता है , इसका कारण यह है कि आजकल की माताएं अब साड़ी नहीं पहनती हैं। पल्लू बीते समय की बातें हो चुकी है।   माँ के पल्लू का सिद्धांत माँ को गरिमा मायी छवि प्रदान प्रदान करने के लिए था। लेकिन इसके साथ ही , यह गरम बर्तन को चूल्हा से   हटाते समय गरम बर्तन को पकड़ने के काम भी आता था।   पल्लू की बात ही निराली थी। पल्लू भी कितना ही लिखा जा सकता है ।   साथ ही पल्लू बच्चों का पसीना / आँसू पूछने , गंदे कानों/मुह की सफाई के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था। माँ इसको अपना हाथ तौलिया के रूप में भी इस्तेमाल का लेती थी । खाना खाने के बाद पल्लू से   मुंह साफ करने का अपना ही आनंद होता था।   कभी आँख मे दर्द होने पर माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर , फूँक मारकर , गरम करके आँख में लगा देतीं थी , सभ दर्द उसी समय गायब हो जाता था । माँ की गोद मे सोने वाले बच्चों के लिए उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू चदरे का काम करता था   ।   जब भी कोई अंजान घर पर आता , तो उसको माँ के पल्लू की ओट ले कर देखते था । जब भी बच्चे को किसी बात पर शर

BHAJAN - साईं राम साईं राम साईं राम सुनले SAI RAM SAI RAM, SAI RAM SUNLEY

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SAI RAM SAI RAM, SAI RAM SUNLEY   साईं राम साईं राम साईं राम सुनले आज पड़   गया मुझे तुझसे काम सुन ले - - - - राम तू है श्याम तू है , सच्चा नाम तेरा , पानी से दीप ज्ज्ला , ये था काम तेरा , मेरे साईं मेरे राम , मेरे श्याम सुन ले आज पड़   गया मुझे तुझसे काम सुन ले - - - - तेरा दास देख साईं , द्वार तेरे आया , पास नहीं कुछ भी मेरे , कुछ भी नही लाया , खाली हाथ आज आया , ये गुलाम सुन ले , आज पड़   गया मुझे तुझसे काम सुन ले - - - - तू यहाँ है तू वहाँ है , तू कहाँ नहीं है , तू है मेरे मन मे बाबा , ये मुझको यक़ीं है - 2 तू है मेरे मन मे मन है , चारो धाम सुन ले आज पड़   गया मुझे तुझसे काम सुन ले रचयिता- सुशील कानपुरी (कापी राइट - प्रदीप श्रीवास्तव)

बूझो तो जाने

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  बहुत आराम से पढ़िएगा मजा अन्तिम में आएगा। हमने आपको बता दिया खैर कोई बात नहीं आनंदित होइए ।।  प्रश्नों का संकलन बहुत ही सुन्दर ढंग से किया गया है....*  1. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का देश में कौन सा स्थान है ? 2. मोदी सरकार का यह  कौन-सा कार्यकाल है ? 3. कितने चम्मच से एक टेबल स्पून बनता है ? 4  हिन्दू पुराणों में कितने वेद होते हैं ? 5. राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने-कितने वर्ष का होता है ? 6. भारत की तुलना में और कितने देशों का क्षेत्रफल बड़ा  है ? 7. पानी का Ph. मान क्या होता है ? 8. सौर मण्डल में कुल कितने ग्रह हैं ? 9.संविधान की कौन सी अनुसूची प्रथम संशोधन द्वारा शामिल की गयी ? 10. कितने मिलीमीटर का एक सेण्टीमीटर बनता है ? 11. एक फुटबॉल टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं ? 12. कितने इंच का एक फीट  होता है ? 13 उद्देश्य प्रस्ताव दिसम्बर की किस तारीख को प्रस्तुत किया गया था ? 14. लोकसभा में पारित बजट को राज्यसभा कितने दिनों तक रोक सकती है ? 15. एक समय का वाहन कर कितने वर्षों के लिए वैध होता है ? 16. शटल कॉक में कितने पंख होते हैं ? 17. भारतीय मुद्रा में कितनी भाषाएँ छपी होती हैं ?

JAY HANUMAN GYAN GUN SAGAR - PRADEEP SRIVASTAVA, GHAZAL SINGER

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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर Hanuman Chalisa Live Performance In The Shiv Temple, Model Town, Pandu Nagar, Kanpur Singer:- Pradeep Srivastava +91 9984555545 https://youtu.be/qy4HAxk8-CE

ज़िंदगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें ~ शहरयार

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  ज़िंदगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें , ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें ! सुर्ख़   फूलों से महक उठती है दिल की राहें , दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें ! याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से , रात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें ! हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है , अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें ! ~ शहरयार

लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है - एक प्रेरणादायक सत्य

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एक प्रेरणादायक सत्य - लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है।   पिता और पुत्र साथ-साथ टहलने निकले , वे दूर खेतों की तरफ निकल आये , तभी पुत्र ने देखा कि रास्ते में , पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते उतरे पड़े हैं , जो ...संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर के थे. पुत्र को मजाक सूझा. उसने पिता से कहा ~ क्यों न आज की शाम को थोड़ी शरारत से यादगार बनायें , आखिर ... मस्ती ही तो आनन्द का सही स्रोत है. पिता ने असमंजस से बेटे की ओर देखा.   पुत्र बोला ~ हम ये जूते कहीं छुपा कर झाड़ियों के पीछे छुप जाएं.जब वो मजदूर इन्हें यहाँ नहीं पाकर घबराएगा तो बड़ा मजा आएगा.उसकी तलब देखने लायक होगी , और इसका आनन्द मैं जीवन भर याद रखूंगा.   पिता , पुत्र की बात को सुन  गम्भीर हुये और बोले ~ बेटा ! किसी गरीब और कमजोर के साथ उसकी जरूरत की वस्तु के साथ इस तरह का भद्दा मजाक कभी न करना. जिन चीजों की तुम्हारी नजरों में कोई कीमत नहीं , वो उस गरीब के लिये बेशकीमती हैं. तुम्हें ये शाम यादगार ही बनानी है , तो आओ .. आज हम इन जूतों में कुछ सिक्के डाल दें और छुप कर देखें कि ... इसका मजदूर पर क्या प्रभाव पड़ता है.पिता