कविता - कौन ?
झाँक रहे है इधर उधर सब।
अपने अंदर झांकें कौन ?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां
अपने मन में ताके कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।
खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
यह सीधी बात स्वीकारे कौन ?
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