ROOH-E-SHAYARI
होंठो
के बीच ना रखा करो तुम कलम को,
ग़ज़ल
नशीली होकर, लड़खड़ाती हुई निकलती हैं !
2
मन
करता है कभी कभी तुझे मैं यूँ सताऊं
तू
इंतज़ार करे मेरा और मै आना भूल जाऊँ
3
उफ़ दो दिल तीन लफ्ज.
हजार
ख्वाईशें और बेहितहाँ दर्द
4
वो
रिश्ता ही क्या जिसे निभाना पडे...
वो
प्यार ही क्या जिसे जताना पडे...!
5
जुदाई
मे जहां बरसों गिरे थे अश्क आँखो से,
मै
अब भी उस जगह उसकी नमी महसूस करता हूं ।
- अहमद अज़ीज़
6
गहरे
रंग मे इश्क़ लाज़मी है साहब,
चाहे
वो काला काजल हो या कड़क चाय...
7
अब
भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाग
उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
- परवीन शाकिर
8
बरसात
का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस
राह से बचना है किस छत को भिगोना है
#NidaFazli
9
एक
दीवाने को जो आए थे समझाने कई,
पहले
एक दीवाना था मैं और अब है दीवाने कई ।
10
ना
होगी किसी और से , इतनी मोहब्बत ये मेरा वादा है,
क्योंकि
इस दिल को तेरी जरुरत हद से भी ज्यादा है,
11
धूप
ने गुज़ारिश की,
एक
बूँद बारिश की।
- मोहम्मद अल्वी
12
शायरो
की बस्ती में कदम रखा तो जाना,
गमों
की महफ़िल भी कितनी खुशी से जमती है।
13
शायरो
की बस्ती में कदम रखा तो जाना,
गमों
की महफ़िल भी कितनी खुशी से जमती है।
14
मज़ा
बारिश का लेना है तो मेरी आँखों में आकर बैठ
वो
बरसती हैं बरसों में और ये बरसती हैं बरसों से
15
इस
कदर कड़वाहट थी उसकी बातो में
आखिरी
खत दीमक से भी नहीं खाया गया
16
दिल
मे ना जाने कैसे तेरे लिए इतनी जगह बन गई
तेरे
मन की हर छोटी सी चाह मेरे जीने की वजह बन गई
17
जो
बात लबों तक ना आऐ, वो शायरी में कह दिया करो ।
कुछ
बातें कहना मुश्किल है, तुम शायरी से पढ़ लिया
करो ।।
18
टूट
पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर,
वो
भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए .
- सज्जाद बाक़र रिज़वी
19
मन
की बातें कहाँ निकाले कोई जरिया नहीं मिलता,
किसी
से नजर नहीं मिलती, किसी से नजरिया नहीं मिलता I
20
दरीचों तक
चले आये तुम्हारे दौर के
ख़तरे,
हम
अपने घर से बाहर झांकने का हक़ भी खो बैठे.
21
हम
भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस
तरफ भी चल पड़े रास्ता हो जाएगा
- - -
प्यार
करके, प्यार ही मिले ये इत्तेफ़ाक़ भी,
किसी किसी के साथ होता है
Comments
Post a Comment