ROOH-E-SHAYARI 10.09.2020
1
अगर
कोई एक लफ्ज मे मेरी हर खुशी पूछे
तो
मै तेरे नाम के सिवा कुछ और ना कहूँ
2
गिरते
हैं जब ख्याल, तो गिरता है आदमी ।
जिसने
इन्हें संभाला, वो खुद संभल गया ।।
3
मुसाफिर
कल भी था, मुसाफिर आज भी हूँ;
कल
अपनों की तलाश में था,आज अपनी तलाश में हूँ
4
आंखों
का था कुसूर न दिल का कुसूर था ।
आया
जो मेरे सामने मेरा ग़ुरूर था ।।
- जिगर मुरादाबादी
5
जहाँ
तू जल्वा - नुमा था लरज़ती थी दुनिया,
तिरे
जमाल से कैसा जलाल पैदा था
- फ़िराक़ गोरखपुरी
6
फिर
क्यूं है ग़रीबों के मकानों में अंधेरा ।
ये
चांद अगर सारे ज़माने के लिए है ।।
- हबीब जालिब
7
कितने
मसरूफ हैं हम जिंदगी के कशमकश में
इबादत
भी जल्दी में करते हैं
फिर से गुनाह करने के लिए !!
8
अपनी
मंजिल पर पहुंचना भी,खड़े रहना भी
कितना
मुश्किल है बड़े हो के,
बड़े रहना भी
09
किसी ने मुझसे पूछा कि ये शायरी
क्या है,
हमने
मुस्कुरा के कहा, तजुर्बों का सर्टिफिकेट
10
तुम्हारी शरारत
लिखेंगे
हुई जो
जलालत लिखेंगे
नजर
से नजर जो मिली थी
उसे हम
हिमाकत लिखेंगे
- लक्ष्मण दावानी
11
वो
मुझपे हाथ उठाता तो ग़म नहीं होता
है
ये अफ़सोस के लफ़्ज़ों के तमाचे मारे
- असद अजमेरी
12
मेरे
लिए प्रेम तेरा, आधा ही रहने दो
रुक्मिणी
नहीं सही, राधा ही रहने दो
13
वो
मेरे दिल से बाहर निकलने का रास्ता ना ढूंढ सके
दावा
करते थे जो मेरी रग रग से वाकिफ़ होने का
14
रिश्ते काँच सरीख़े हैं टूट कर बिखर ही जाते हैं
समेटने
की ज़हमत कौन करे,लोग काँच ही नया ले आते हैं !
15
लड़
रहा हूँ मैं आपने ही ख़्वाबों से ,
आज
फिर तुम बेहिसाब याद आई |
~राहुल बरियारपुरी
16
लाख
आफ़्ताब पास से हो कर गुज़र गए,
हम
बैठे इंतिज़ार-ए-सहर देखते रहे ।।
- जिगर मुरादाबादी
17
हम
अपनी जान की दुश्मन को अपनी जान कहते हैं,
मोहब्बत
की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं।
18
हमारी
सोच कागज पर कभी असली नहीं उतरी,
हम
अपने ख्वाब की तस्वीर भी नकली बनाते हैं।
19
गुफ़्तगू
उनसे रोज़ होती है ।
मुद्दतों
सामना नही होता ।।
- बशीर बद्र
20
खबर
सबको थी मेरे कच्चे मकान की,
फिर
भी लोगों ने दुआ में बरसात मांगी
• गुलजार
21
पक
गया है सजर मे फल शायद, फिर से पत्थर उछालता है
कोई,
दूर
तक गूंजते है सन्नाटे,जैसे हमको पुकारता है कोई
!
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