KABHI KAHAA NAA KISS SE TERE FASAANE KO - QAMAR JALAALVI


कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को,

न जाने कैसे ख़बर हो गयी ज़माने को !

सुना है ग़ैर की महफ़िल  मे तुम न जाओगे,

कहो तो आज सजा दूँ ग़रीब ख़ाने को !

दुआ बहार की मांगी तो इतने फूल खिले,

कहीं जगह ना मिली मेरे आशियाने को !

दबा के क़ब्र मे सब चल दिये दुआ न सलाम,

ज़रा सी देर मे क्या हो गया ज़माने  को !

- क़मर जलालवी

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