ज़िंदगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें ~ शहरयार
ज़िंदगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें,
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें !
सुर्ख़ फूलों से महक उठती है
दिल की राहें,
दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें !
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से,
रात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें !
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है,
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें !
~ शहरयार
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