HINDI GHAZAL - EK YAH BHI KAMAAL HAI BHAI - PRATEEK MISHRA

एक यह भी कमाल है भाई,

ठीक सब हाल चाल है भाई !

तीर तलवार उनके हिस्से में,

अपने हिस्से में ढाल है भाई !

ताल से यह सवाल उछलता है,

किस मछेरे का जाल है भाई !

हाथ जोड़े वो जैसे आये हैं,

कोई न कोई चाल है भाई !

अब वो फिर आ गए ज़मीन पे हैं !

अपनी अपनी उछाल है भाई !!

माल किसका है कौन लाया है !

कौन इसका दलाल है भाई !!

घर अँधेरे के फिर उजड़ने हैं !

जल गई फिर मशाल है भाई !!

- प्रतीक मिश्रा


 

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