MEER TAQI MEER - KYA KAHUN TUMSE MAIN KI KYA HAI ISHQ

MEER – KYA KAHUN TUMSE MAIN KYUN

 

क्या कहूँ तुमसे मैं कि क्या है इश्क़,

जान का रोग है बला है इश्क़ !

इश्क़ ही इश्क़ है जहां देखो,

सारे आलम में भर रहा है इश्क़ !

इश्क़ है तर्ज़ो-तौर इश्क़ के तई,

कहीं बन्दा कहीं ख़ुदा है इश्क़ !

इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है,

यानी अपना ही मुबित्ला है इश्क़ !

दिलकश ऐसा कहाँ है दुश्मने जां,

मुद्दई है प मुद्दुआ है इश्क़ !

कौन मक़सद को इश्क़ बिन पहुंचा,

आरज़ू इश्क़ मुद्दुआ है इश्क़ !

 

- मीर तक़ी मीर   


 

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