ROOH-E-SHAYARI, मिटती हुई हयात

मिटती हुई हयात को आबे हयात चाहिये ,
यानि करम की बात है शाने करम दिखाइये !
मेरी इबादतों से क्या बन्दये नारसा हूँ मैं,
एक तवज्जहे हंसी आपकी सिर्फ़ चाहिए !!
~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम "मौजशाही"

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