SHAYARI
सोच बड़ी हो, मेरी नेक नीयत हो..
और छोड़िये, मुझमें आदमियत हो !!
(अनिल माहेश्वरी)
दिल को दिल से राह है, रूहानियत से अमल होने दो...
ख़्वाब, जुनूने-दोस्ती का है, दोस्त, मुक़म्मल होने दो !!
(अनिल माहेश्वरी)
तोड़ आया बैसाखियाँ रूबरू ज़माने के मैं..
ख़ुद के कदमों पे हूँ जो, लोग पहचानने लगे !!
(अनिल माहेश्वरी)
बेज़ुबान हो चुकी हैं मुस्कुराहटें मेरी,
आवाज़ मेरे ग़म की सुनाती ही नहीं !!
(अनिल माहेश्वरी)
आँखों की बरसात को रोकने का मन ही न हुआ मेरा,
दुश्मन था जो कल तक, आज गले लगा रहा था मुझे !!
(अनिल माहेश्वरी)
सितम ये है कि उनके ग़म नहीं ।
औ ग़म ये है कि उनके हम नहीं ।
अंजुम कानपुरी
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