SHAYARI- NA MAR BHUKHA
ना मर भूखा, न रख रोज़ा, न जा मस्जिद, न कर सजदा !
वुज़ू का तोड़ दे कूज़ा , शराब-ए -शौक़ पीता जा !!
(मशहूर सूफ़ी संत मंसूर साहब कहते हैं कि न तो तू भूख रह न रोज़ा रख, न मस्जिद जा, न ही वहाँ सजदा क्र । यहां तक की उस कूज़े(बर्तन) को भी तोड़ दे जिसमें मुसलमान वुज़ू (हाथ मुंह धोना) करता है । यह सब व्यर्थ है इनके करने से कोई लाभ नहीं इसलिए कुछ करना है तो इश्क़ की शराब पी अर्थात ख़ुदा से मोहब्बत कर क्योंकि जब तू रोज़ा रखता है तो तेरा दिमाग़ खाने में होता है । जब तू दान देता है तो तेरा दिमाग़ फल की इच्छा में होता है । रोज़े के दौरान तू कड़वा बोलता भी है और बुरा सोचता भी है तो अपनी पूजा को भी नापाक कर देता है । इसलिए पहले तू इश्क़ की शराब पी । जो करना है मन से, शिद्दत से, मस्ती में , प्यार में डूबकर कर फिर देख तुझे ख़ुदा कैसे नहीं मिलता । )
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