SHAYRI-YE MANA ZINDGI HAI

ये माना ज़िन्दगी है चार दिन की !
बहोत होते हैं यारो चार दिन भी !!
ख़ुदा को पा गया वाइज़ मगर है !
ज़रूरत आदमी को आदमी की !!
- फ़िराक़ गोरखपुरी

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