SHAYRI

ख़ंजर से करो बात ना तलवार से पूछो !
मैं क़त्ल हुआ कैसे मेरे यार से पूछो !!

 ***




ग़ज़ल में बंदिशों अलफ़ाज़ ही नही काफ़ी !
जिगर का खून भी कुछ चाहिये असर के लिए !!
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दिल दिया एतबार की हद थी !
जान दी ये मेरे प्यार की हद थी !!
मर गया मैं खुली रही ऑंखें !
ये तेरे इंतज़ार की हद थी !!
संकलन:
प्रदीप श्रीवास्तव


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