SHAYRI

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई !
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई !! 
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झरनों से मधुर संगीत न सुनाई देता !! 
जो राहो में उनके पत्थर न होते !!
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बहुत शौक था सबको जोड़ के रखने का !
होश तब आया जब अपने वजूद के टुकड़े देखे !! 
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जबसे तेरी रुसवाई से डर ने लगा हूँ मैं 
तेरी गली से बच के गुज़र ने लगा हूँ मैं.....
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खुद के किये से कुछ नहीं होता शाद
खुदा की देन है इनसां का मशहूर होना..
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किलकारियाँ लिख दो किरदार में मेरे,
बीते वक़्त में लौट कर जाना है मुझे !!
(अनिल माहेश्वरी)
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