MEHFIL-E-GHAZAL
जिंदगी वो है जो काम आये किसी के वरना !
इसको तो जैसे गुज़ारोगे गुज़र जायेगी !!
~ नज़ीर बनारसी
विगत दिवस लेप्रोस्कोपिक
यूरोलॉजी पर डॉक्टर्स के दो दिवसीय कार्यशाला में एक दिन महफ़िल-ए-ग़ज़ल का आयोजन
किया गया | कार्यक्रम के आयोजक थे डॉक्टर वी.के. मिश्र सुप्रसिद्ध यूरोलोजिस्ट ,
कानपुर | ग़ज़ब की सोच के साथ नई नई फरमाइशों से देर रात तक महफ़िल रौशन हुई | कभी पुराने
नगमे, कभी ग़ज़लें कभी जोश में आकर ख़ुद गीत पेश करने लगते थे | इसी क्रम में बहार से
आये डाक्टर दिलीप चौरसिया ने किशोरे जी का गीत पेश किया | सुमन सिंह के द्वारा गाये
गए पुराने नगमो से कार्यक्रम में चार चाँद लग गए | तबले पर श्री मनोज तिवारी, पैड
पर श्री दीपक निगम, ढोलक पर श्री ऋषि कान्त और की बोर्ड पर श्री चरण जीत सिंह ने बहुत
ही सुरीली संगत की |
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