रहने दो आसमान,ज़मी की तलाश करो |


 रहने दो आसमान,ज़मी की तलाश करो |

सब कुछ यहीं है, न कहीं तलाश करो ||

हर आरजू गर पूरी हो,तो जीने का क्या मज़ा |

ज़ीने के लिए बस, एक कमी तलाश करो ||
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समंदर के सफ़र में इस तरह मको सदायें दे,

हवाएं तेज़ हो और कश्तियों में शाम हो जाये !

मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा,

परिंदा आसमां छूने में जब नाकाम हो जाये !

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होटों के पास आये हंसी क्या मजाल है,

दिल का मामला है कोई दिल्लगी नहीं

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जिस्म में रूह की सूरत जो यहाँ रहते हैं,

उम्र भर वो भी मगर साथ कहाँ रहते हैं !

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वो आ रहे हैं वो आते हैं वो आ रहे होंगे

तमाम रात इसी में गुज़ार दी मैंने !

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ऐ मेरे आराम-ए-जां तकलीफ़ फरमाना ज़रा

मौत के आने से पहले तुम चले आना ज़रा !

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