ROOHE-E-SHAYRI
1
इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का
बोझ उठा नहीं सकता
कोई समझे तो
एक बात कहूँ
इश्क़
तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
फ़िराक़
गोरखपुरी
2
हर जूते का
भाग्य अलग अलग होता है
कभी-कभी मालिक उसका आपा खोता है,
रहता पैर में, न जाने पहुंचे कब सिर तक
जिसको जोर की पड़ती, केवल वो रोता होता है
3
इश्क़
नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का
बोझ उठा नहीं सकता
कोई समझे तो
एक बात कहूँ
इश्क़
तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
फ़िराक़
गोरखपुरी
4
मैं जिसे
ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ.
एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल
जाता हूँ..
दुष्यंत
5
जंगल जंगल
ढूँढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को ,
कितना
मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दूरी को ।
मैं बन
कर हिरनी फिरती रहूँ तेरी कस्तूरी की खोज
मे !
महका तू
अपना इश्क़ ज़रा, कि तुझे ढूँढना आसान हो !!
- लफ़्ज़ बनारसी
6
कस्तूरी की
खुश्बू सबमे है,आप बाहर न ढूंढ़िए,
अपनी खुद की
पहचानिये ,और सबको महका दीजिये !
7
मुझसे जब भी
मिलो नजरें उठाकर मिलो,
मुझे पसंद है अपने आप को तुम्हारी आँखों में
देखना.
8
मैं उम्र भर
जिनका न कोई दे सका जवाब,
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये..
9
रोया करोगी
बिस्तर की एक एक शिकन को देख कर,
करवट बदल
बदल कर इक दास्तान छोड़ चला हूं मैं !
10
रोया है
फ़ुर्सत से कोई मेरी तरह सारी रात यकीनन,
वर्ना
रुख़सत-ए- मार्च में यहाँ बरसात नहीं होती
11
मुझसे बिछड़
कर खुश रहते हो,
मेरी तरह
तुम भी झूठे हो।
12
ज़िंदगी तू
ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं,
पाँव फैलाऊँ
तो दीवार में सर लगता है !
~ बशीर बद्र
13
इश्क 'महसूस' करना भी इबादत से कम नहीं,
ज़रा बताइये
'छू कर' खुदा को किसने
देखा है !
14
चाहत चमन की
अगर दिल में है तो,
पहले काँटों
पर गुज़र करके देखिये !
क्या मज़ा
मिलता है जलने में परवाने को,
कभी किसी
शमा पर मचल करके देखिये !
~ अलफ़ाज़
15
आज फिर एक ज़ख्म उभरेगा
आज फिर याद
आ रहा है कोई
-असद अजमेरी
16
इलाज ना
ढूंढ तू इश्क का, वो
होगा ही नहीं
इलाज मर्ज का होता है इबादत का नहीं
17
हमने रोती
हुई आंखों को हंसाया है सदा
इससे बेहतर ईबादत तो नहीं होगी हमसे
18
खुशियां
तकदीर में होनी चाहिए
तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुराता है
19
पहले चांदी
के चमचे हुआ करते थे
अब चमचों की चांदी हुआ करती है
20
चमचे कभी
वफादार नहीं होते
वफादार कभी चमचे नहीं हुआ करते
Comments
Post a Comment