ROOHE SHAYARI

आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा,

वक्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
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हालात हमपे आये तो रिश्ता बदल लिया,

लोगों ने हमको देख के रास्ता बदल लिया

एक उम्र तक जिन्होंने देखे थे ख़्वाब मेरे,

सुनते हैं उन आँखों से सपना बदल लिया !

- अलफ़ाज़
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इस तरह से तो इबादत भी नहीं होती है

एक तरफ़ा तो ये चाहत भी नहीं होती है

इश्क़ होता है तो दोनों ही तरफ़ होता है

एक तरफ़ा तो मोहब्बत भी नहीं होती है

- कृष्ण कुमार साहब
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अब  तक  शिकायतें   हैं  दिल- ए-बद- नसीब  से

इक   दिन  किसी   को   देख लिया था  क़रीब  से

उन  के   बग़ैर   भी   है   वही   ज़िंदगी   का   दौर

हालात- ए- ज़िंदगी   हैं   मगर   कुछ   अजीब   से

- शकील बदायुनी

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सरापा प्यार है तू तुझसा प्यारा मिल नहीं सकता

मेरी कशती को बिन तेरे किनारा मिल नहीं सकता

तसव्वुर मे रहें का़एम तेरे गेसू तेरी आँखें

कहीं नज़रों को यह दिलकश नजा़रा मिल नहीं सकता

- नईम शाहाबादी
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आज ख़न्जर का इम्तेहाँ होगा

मेरी  गर्दन  पे जब  रवाँ  होगा

देखना मुश्किलों में तुम मुझको

मेरे   होटों पे लफ्ज़े माँ होगा

- कैफ गाजीपुरी

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दिल में हिंदुस्तान रखते हैं यहाँ

आज भी ईमान रखते हैं यहाँ

एक ही मतलब है दोनों नाम का 

जो ख़ुदा भगवान रखते हैं यहाँ

- कृष्ण कुमार साहब

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जोड़कर हाथ राम-राम करें

 मुस्कुराकर दुआ सलाम करें

यह मोहब्बत अगर इबादत है

हम इबादत ये सुबह शाम करें

- मोनिका मासूम

दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है

आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है

- इफ़्तिख़ार आरिफ़

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पल दो पल की दोस्ती का क्या करें,

हम जरा सी    जिंदगी का क्या करें !

चाँद जैसा  चेहरा तो है मगर,

दिल के काले आदमी का क्या करें !

- परमाल शाह

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काली रातों की हकीकत इश्क से पूछो

भीगी आंखों की मुसीबत इश्क से पूछो

चाँद बेशक खुशनुमा कर देता है लम्हे

चकोरी दिल की कीमत इश्क से पूछो

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कब  ये  सोचा था  मिरे  साथ ये  धोखा  होगा

मैं तो समझा था  कि  वो आदमी अच्छा होगा

चाँद छूना है  मुझे  दिल में  यही डर  है  मगर

चाँद  के  पास  सितारों  का  भी  पहरा  होगा

- नीरज कुमार

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कलम नही याँ सुख़न बिका है,

बचा के दिल को बदन बिका है।

दो चार कलियाँ जो बट गई तो,

ये कौन बोला चमन बिका है।

- रोहिताश कफ़स

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शो'ला  ही  सही  आग   लगाने  के  लिए  आ

फिर  नूर  के  मंज़र  को  दिखाने के  लिए आ

ये  किस  ने कहा   है  मिरी   तक़दीर  बना  दे

आ  अपने  ही  हाथों  से  मिटाने  के लिए आ

ऐ   दोस्त  मुझे   गर्दिश -ए- हालात   ने   घेरा

तू ज़ुल्फ़  की कमली  में  छुपाने  के लिए  आ

दीवार   है  दुनिया  इसे   राहों   से     हटा   दे

हर  रस्म-ए-मोहब्बत  को मिटाने  के लिए आ

मतलब  तिरी  आमद  से  है दरमाँ  से  नहीं है

'हसरत' की क़सम दिल ही दुखाने के लिए आ

- हसरत जयपुरी 

















 


 

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