roohe shayari_21.07.2021
जिसे शिद्दत से कभी पकड़ा भी नहीं
2
या रब हमारे वास्ते दुनिया नई बना ,
तेरे लिए तो कुन से फ़या कुन की बात है !
3
सफर में कोई किसी के
लिए ठहरता नहीं,
ना मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने !
4
अब मौत से कह दो कि नाराज़गी ख़त्म कर ले,
वो बदल गया है जिसके लिये हम जिंदा थे !
5
तेरी तारीफ में कुछ लफ्ज़ कम पड़ गए,
वरना हम भी किसी ग़ालिब से कम नहीं ।
6
चाहे जिधर से गुजरिये , मीठी सी
हलचल मचा दीजिये,
फिर मत कहना चले भी गये और बताया भी नहीं !
7
हम तो लिख देते हैं, जो भी दिल में आता है हमारे,
आपके दिल को छू जाए तो 'इत्तफाक' समझिये !
8
भीग जाती हैं जो पलकें कभी तन्हाई मे,
कांप उठता हूँ मेरा दर्द कोई जान न ले
ये भी डरता हूं कि ऐसे मे अचानक कोई,
मेरी आँखों मे तुझे देख के पहचान न ले
9
एक दरवेश मेरे जिस्म को छू कर बोला,
अजीब लाश है, सांस भी लेती है
10
उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझ को,
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था.
11
इस कदर कड़वाहट आई उनकी बातों में,
आखरी खत दीमक से भी ना खाया गया !
12
जो कह दिया तो
मलाल कैसा,
जब कह दिया तो सवाल कैसा !
13
मोहब्बत नाम है जिसका वह ऐसी कैद है यारों
उम्र बीत जाती है सजा पूरी नहीं होती !
14
तेरी खत में इश्क की गवाही आज
भी है,
हर्फ़ धुंदले हो गए पर स्याही आज भी है !
15
सबको ओढनी है,
मिट्टी की चादर एक दिन,
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