रूहे शायरी
तसव्वुर से दिलो जां में उजाला कर लिया मैंने,
जब ऑंखें बंद की उनका नज़ारा कर लिया मैंने !
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कहूँ एक बात मैं दिल की अगर जां की अमा पाऊं,
मुझे क़ुर्बान होने दे तेरे क़ुर्बान हो जाऊं !
दूर ही रहो नादाँ मत उलझो हमारे बूढ़ों से,
ये आज भी अखरोट फोड़ देते हैं पोपले मसूढ़ों से !
ये लगता है नशे का पी के जाम कोई बैठे हैं,
यहाँ ये सोच कर अपना सभी अंजाम बैठे हैं,
इन्हें तुम गौर से देखो तो ये लग जाएगा,
कि जैसे जेल के कोने में आशा राम बैठे हैं !
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निगाहे-लुत्फ से इक बार मुझको देख लेते हैं,
मुझे बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है ।
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बड़ी लंबी गुफ्तगू करनी है ।
तुम आना एक प्यारी सी जिंदगी ले कर ॥
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यहाँ लोग अपनी गलतियाँ नहीं मानते ।
किसी को अपना क्या
मानेगे ॥
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मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना ।
ये जो जिंदगी है समझदार किए जाती है ॥
- गुलज़ार
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जिन्हे नींद नहीं आती उन्ही को मालूम है ।
सुबह आने मे कितने ज़माने लगते हैं ॥
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मेरी फ़ितरत मे नहीं उन परिंदों से दोस्ती करना ।
जिन्हे हर किसी के साथ उड़ने का शौक है ॥
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बहुत छाले हैं उसके पैरों मे ।
कमबख़्त उसूलों पर चला होगा ॥
- गुलज़ार
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देख कर दर्द किसी और का जो आह दिल से निकल जाती है ।
बस इतनी सी बात तो आदमी को इंसान बनाती है ॥
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पाँव में
यदि जान हो तो मंजिल दूर नहीं,
दिल में यदि
स्थान हो तो अपने दूर नहीं !
Paavon mein
yadi jaan ho toh manzil dur nahin
Dil mein
yadi sthan ho toh apne dur nahin
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लिखा है
डॉक्टर ने दवा की जगह तुम्हारा नाम,
यह भी लिखा
है सुबह दोपहर शाम !
Likha hai
doctor ne dva ki jagah tumhara naam
Yah bhi
likha hai subha dophar sham
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लिखा है
डॉक्टर ने दवा की जगह तुम्हारा नाम,
यह भी लिखा
है सुबह दोपहर शाम !
Likha hai
doctor ne dva ki jagah tumhara naam
Yah bhi likha hai subha dophar sham
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झूठ बोलकर
तो मैं भी दरिया पार कर जाता
पर डूबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने
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