ROOH-E-SHAYARI APKE LIYE
ख़ुद
को इतना भी न बचाया कर,
बारिशें
हुआ करे तो भीग जाया कर ।
2
उनका
इतना सा किरदार है मेरे जीने में,
कि
उनका दिल धड़कता है मेरे सीने में
3
उस
ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने
वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
- जमाल एहसानी
4
आ
और काएनात के फूलों की दाद दे,
जिन
से तिरा जमाल नुमायाँ किया गया
- यूसुफ़ ज़फ़र
5
खुद
से ही जीतने की जिद है मुझे खुद को ही हराना है |
मैं
भीड़ नहीं हूं दुनिया की,मेरे अंदर एक जमाना है |
6
उन
आँखों की झपकियों को भी सौ दफा सलाम है ,
जिन
आँखों की पलकों के नीचे मेरी चाहत पनाह लेती है ।।
7
सलीका
अदब का तो बरकरार रखिये साहिब,
रंजिशे
अपनी जगह सलाम अपनी जगह ।।
8
सुनिए निगाह-ए -इश्क जरा अदब से
रहिए
नज़र-ए-हुस्न
से गुफ़्तगू आसान नहीं होती
9
हम दोनों को ही कोई बीमारी नही है,
फिर
भी वो मेरी और मैं उसकी दवा हूं ।
10
अंग्रेजी
की किताब बन गई हो तुम
पसंद तो बहुत आती हो पर समझ में नहीं
11
मैंने जब भी रब से गुजारिश की है
तेरे चेहरे पर हंसी की सिफारिश की है
12
तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुजरी है,
तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया
13
नज़र नज़र में उतरना कमाल होता है !
नफस नफस में बिखरना कमाल होता है !!
बुलंदी पे पहुँचना हरगिज कमाल नही !
बुलंदी पे ठहरे रहना बस कमाल होता है !!
14
इश्क की नगरी में माफ़ी नहीं किसी को भी,
इश्क उमर नहीं देखता बस उजाड़ देता है ।
15
आबाद रहेगी ये दुनिया हमारे बाद भी,
हम नहीं होंगे तो कोई और हम सा होगा ।
16
शौक़ नहीं मुझे जज़्बातों को सरेआम लिखने
का,
पर क्या करूँ ज़रिया यही है तुम से बात
करने का !
17
कस्बा दिया था आपको, शहर बना दिया
कितनों को रोज़गार दिया, घर बना दिया
किस तरहा शुक्रिया हुज़ूर, आप का करें
तकदीर बना दी है, मुक़द्दर बना दिया ।
18
जिसके हिस्से में रात आयी है,
यकीन जानिये उसके हिस्से में चाँद भी
होगा !
19
ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा ।
ऐसे आने से तो बहेतर था न आना तेरा ।।
20
मुट्ठी भर माफी के बीज बिखेर दो नाराज
दिलों की जमीन पर,
बारिश का मौसम आ रहा है शायद अपनापन फिर से पनप जाए !
21
क्यूँ हमसे खफा हो गए जाने तमन्ना,
भीगे हुए मौसम का मजा क्यों नहीं लेते ।
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