-:: गुलाब सखी का चबूतरा ::-
-:: गुलाब सखी का चबूतरा ::-
यदि राधा नाम भूल से भी निकल जाये तो भी राधा रानी उसे
अपना लेती है।
राधा रानी भक्त गुलाब सखी की कहानी
बरसाने में प्रेम सरोवर के मार्ग पर एक समाधि बनी हुई है
जिसे सब गुलाब सखी के चबूतरे के नाम से जानते हैं।
गुलाब एक गरीब मुस्लमान था। राधा रानी सब पर कृपा करती हैं। ये बरसाने में श्रीजी के मंदिर में सारंगी बजाता था और जो पैसा मिल जाता था। उससे अपना पेट पालता था। इसकी एक बेटी थी, जिसका नाम था राधा! जब समाज गायन होता था तो वो लड़की बड़ा भाव-विभोर होकर राधा रानी के सामने नृत्य करती थी। जब कन्या बड़ी हुई तो लोगो ने कहना शुरू कर दिया गुलाब! अब तो तेरी बेटी जवान हो गई है, अब इसके लिए कोई लड़का देख ना।
उस भक्त ने कहा कि, राधा! राधा रानी की बेटी है, जब वो
कृपा करेगी तो शादी हो जाएगी। मेरे पास इतना पैसा नही है कि में व्यवस्था कर सकूं।
लोगो ने कहा कि, तुम लड़का तो देखो! व्यवस्था हम कर
देंगे।
उस भक्त गुलाब ने एक लड़का देखा और बेटी का विवाह कर दिया।
बेटी चली गई अपनी ससुराल। तीन दिन हो गए पर बेटी को भुला नही पा रहा था। खाना-पीना सब छूट गया। ना सारंगी बजाई, ना समाज गायन में गया लेकिन एक दिन रात्रि को श्रीजी के मंदिर के द्वार पर बैठ गया। ठीक रात्रि के बारह बजे उसे एक आवाज सुनाई दी। तभी एक छोटी सी बालिका उसे दौड़ती हुई दिखाई दी और गुलाब सखी के पास आई और बोली कि, बाबा! बाबा! आज सारंगी नाय बजायेगो ? मैं नाचूंगी।
जब उसने आँख खोलकर देखा तो एक सुंदर बालिका खड़ी है। उसने
पास रखी सारंगी उठाई और बजाना शुरू कर
दिया। वो लड़की नृत्य करते हुए सीढ़ियों की और भागी। गुलाब ने अपनी सारंगी रख दी और
राधा राधा कहते हुए उस लड़की की ओर दौड़ा लेकिन उसके बाद वो वहां किसी को नही दिखा।
श्रीजी में समा गया।
लोगो ने सोचा कि उसका खाना पीना छूट गया था। कहीं ऐसा तो
नहीं कि पागल होकर मर गया हो।
लोग भूल गए महीनों निकल गए लेकिन एक दिन रात्रि में
गोस्वामी जी राधा रानी को शयन करवा कर मंदिर की परिक्रमा में आ रहे थे तो झाड़ी के
पीछे से गुलाब निकला ।
पुजारी ने पूछा कि, कौन है?
वो बोला - तिहारो गुलाब।
पुजारी ने कहा कि, गुलाब तो मर गया है।
उसने कहा कि मैं मरा नही हूँ! श्रीजी के परिकर में
सम्मिलित हो गया हूँ।
गोस्वामी जी ने पूछा कि, कैसे?
उसी समय गुलाब ने गोस्वामी जी के हाथ में पान की बिरि रखी जो अभी-अभी राधा रानी को शयन के समय भोग लगाकर आये थे। इतना कह कर वो झाड़ियों के अंदर चला गया और फिर कभी नही दिखा
आज भी बरसाने में गुलाब सखी जी की समाधि है जिसे गुलाब सखी
का चबूतरा कहते हैं।
आपके मन में ये प्रश्न हो सकता है कि उसने अपनी बेटी को याद किया था तो उसकी मुक्ति कैसे?
"राधा"
कोई साधारण नाम नहीं है ये महाशक्ति का नाम है । जो राधा नाम लेता है उसके आगे भगवान विष्णु चलते हैं, पीछे
भगवान शिव चलते हैं, दाहिने इंद्र वज्र लेकर चलते हैं और बांये वरुण उसके ऊपर
छत्र लेकर चलते हैं। यदि राधा नाम भूल से भी निकल जाये तो भी राधा रानी उसे अपना
लेती है।
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