कविता - राम युग में दूध मिले, और कृष्ण युग में घी;

 राम युग में दूध मिले,

और कृष्ण युग में घी;

कोरोना युग में दारु मिले,

डिस्टेंस बना कर पी! 


जब दुनियाँ लेके बैठी है,

बड़े-बड़े परमाणु;

और ठोंक गया एक,

उसे एक छोटा सा विषाणु!


जब जलने लगे

अर्थव्यवस्था के फेफड़े,

तब सरकार को

याद आये बेवड़े!


कल रात सपने में

आया कोरोना;

उसे देख जो मैं डरा😢

और शुरू किया रोना;

तो,मुस्कुरा 😊 के

वह बोला;


"मुझसे डरो मत,

कितनी अच्छी है

तुम्हारी संस्कृति;

न चूमते,न गले लगाते;

दोनों हाथ जोड़कर,

तुम स्वागत करते;

वही करो ना,

मुझसे क्यों डरते?


कहाँ से सीखा तुमने,

रूम स्प्रे,बॉडी स्प्रे;

पहले तो तुम धूप,दीप,

कपूर,अगरबत्ती जलाते;

वही करो ना,

मुझसे बिल्कुल डरो ना!


शुरू से तुम्हें

सिखाया गया,

अच्छे से हाथ पैर

धोकर घर में घुसो;

मत भूलो,

अपनी संस्कृति;

वही करो ना

मुझसे बिल्कुल डरो ना!


सादा भोजन

उंच्च विचार,

यही तो हैं

तेरे संस्कार;

उन्हें छोड़,

जंक फूड,

फ़ास्ट फूड के

चक्कर में पड़ो ना;

मुझसे बिल्कुल डरो ना!


शुरू से ही

पशु-पक्षियों को,

पाला-पोसा,प्यार दिया;

रक्षण की है,

तुम्हारी संस्कृति;

उनका भक्षण करो ना,

मुझसे ज़रा भी डरो ना!


कल रात सपने में,

आया कोरोना;

बोला;

अपनी संस्कृति का ही

पालन करो ना,

मुझसे जरा भी डरो ना!"

🙏 *

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